Saturday, September 19, 2009

जवाब के खोज में...



जिंदगी में हसी के साथ साथ ग़म
भी आता हे, कुछ ऐसे पल भी आते हे

जो न किसी से कहा जा सकता हे, नही
कहे बिना रहा जा सकता हे।

बस उन्ही लम्हों की परिणाम हे, की
आदमी एक कवि बन्ने, लिकने लगता हे ।

जब मैंने अपने हालत को एक कविता
के सहारे लोगों के सामने पेश किया,
तब लोगों ने कहा, वह! क्या बात हे!!
इतने दिनों तक हमें पता ही नही था..

पर शायद ही कोई एक होता, जो,
मेरे लेखन को कविता के नज़र
से बहार देखता, तो मेरा कविता
लिखने का कोई मतलब मिलता..

किसी ने मुझे एक बार पुचा,
तुम जो भी लिखते हो, क्या वो सुच हे,
या फिर अपने कप्लानाओ के झलक हे,
जिसे इतनी खूबसूरती से समाते हो...

जवाब तो बस, उसी को देना था...

- Nocturnal poet

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